एक ऐसी बिजनेस सफलता की कहानी, 32 साल की उम्र में खड़ी कर दी कंपनी, दूसरे के यहां 135 रुपए में की थी मजदूरी !

एक ऐसी बिजनेस सफलता की कहानी, 32 साल की उम्र में खड़ी कर दी कंपनी, दूसरे के यहां 135 रुपए में की थी मजदूरी !
एक ऐसी बिजनेस सफलता की कहानी, 32 साल की उम्र में खड़ी कर दी कंपनी, दूसरे के यहां 135 रुपए में की थी मजदूरी !
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बिजनेस सक्सेस स्टोरी : हमारे इस प्लेटफार्म के माध्यम से हम आपको एक से बढ़कर एक शख्सियत की बिजनेस सफलता की कहानी लेकर आते हैं। लेकिन आज के इस आर्टिकल में एक ऐसी सफलता की कहानी लेकर आए हैं, जिसे पढ़ने के बाद आप लोगों में एक अलग ही जोश आ जाएगा। ‌ कहते हैं कि बिजनेस करने के लिए पैसे नहीं हिम्मत और मेहनत लगती है। जिनके सपनों में जान होती है।

वही अपने पंखों में उड़ान भर पाते हैं। एक ऐसी सफलता की कहानी डीपी यादव की है जो फरीदाबाद के शहर में रहते हैं। ‌ उनकी सफलता की कहानी कुछ ऐसी होती है 135 रुपए में मजदूरी करके अपना खर्चा एक समय चला रहे थे। ‌ लेकिन आज के समय में यह एक कंपनी के मालिक हैं। ‌ और कहीं सारे लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। उनकी स्टोरी न्यूज़ 18 ने कवर की है।

डीपी यादव बिजनेस सक्सेस स्टोरी

डीपी यादव, वर्तमान में एक बिजनेसमैन है जो उत्तर प्रदेश के फरीदाबाद शहर में रहते हैं। आज के समय में यह अपनी एक खुद की कंपनी चला रहे हैं। ‌ एक समय था कि जब अन्य कोई भाव नहीं देता था। ‌ इन्होंने 32 साल की उम्र में ही अपनी खुद की कंपनी खड़ी कर दी। ‌ उसे वक्त यह केवल 32 साल के थे, लेकिन जब इन्होंने अपनी वर्कशॉप शुरू की थी उसे वक्त इनके ऊपर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा था क्योंकि इनके पिताजी चल बसे थे। ‌ लेकिन तब भी इन्होंने हिम्मत नहीं हारी।‌

135 से की थी मजदूरी

मीडिया को दी गई जानकारी के अनुसार डीपी यादव ने अपने बिजनेस सफलता की कहानी की शुरुआत करने से पहले किसी दूसरे व्यक्ति के यहां 135 रुपए में मजदूरी की थी। उन्होंने जानकारी दी है कि साल 1970 में जब आईटीआई कंप्लीट करने के बाद 135 रुपए में उन्होंने किसी प्राइवेट कंपनी में जॉब की थी। इसके बाद भी इन्होंने हार नहीं मानी और लगातार काम करते रहे करीब 10 साल उन्होंने एक दूसरी निजी कंपनी में काम किया इसके बावजूद कुछ कंपोनेंट डेवलपमेंट किया। इसके लिए वह दूसरे देश के लोगों से काम करवाते थे। ‌

लोन लेकर शुरू की खुद की वर्कशॉप

इन्होंने इस प्रॉब्लम को फाइंड आउट किया कि कंपोनेंट बनाने के लिए यह दूसरे देश के लोगों को काम देते थे इसके बाद उन्होंने यह खुद ही करने का डिसाइड किया. डीपी यादव ने बैंक से लोन लेने के बाद अपनी एक किराए की दुकान में साल 1990 में छोटी सी वर्कशॉप शुरू कर दी। ‌ जब इन्होंने वर्कशॉप शुरू की थी तो इस वक्त इनको दिक्कतों का सामना करना पढ़नें लगा |

क्योंकि इसी वक्त उनके पिताजी की मौत हो चुकी थी। इसके बावजूद भी इन्होंने अपने आप से हार नहीं मानी और लगातार काम करते गए। लगातार की गई मेहनत की वजह से आज यह अपनी खुद की एक कंपनी बन चुके हैं। इतना ही नहीं इनका कारोबार इतना अच्छा चल रहा है कि अभी तक यह 20 से 25 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। ‌ यह जानकारी न्यूज़ 18 लोकल से ली गई है।