Mahesh Gupta Success Story: बच्चों की बीमारी से आया बिजनेस का आईडिया, नौकरी छोड़कर खड़ी कर दी 11000 करोड़ की कंपनी !

Mahesh Gupta Success Story: बच्चों की बीमारी से आया बिजनेस का आईडिया, नौकरी छोड़कर खड़ी कर दी 11000 करोड़ की कंपनी !
Mahesh Gupta Success Story: बच्चों की बीमारी से आया बिजनेस का आईडिया, नौकरी छोड़कर खड़ी कर दी 11000 करोड़ की कंपनी !
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Mahesh Gupta Success Story: जैसे हमारे देश में नहीं पूरे विश्व भर में कोरोना महामारी आई थी. इसकी वजह से कई लोगों की जिंदगी सवारी है तो कुछ लोगों के परिवार उझड़ चुके हैं. आज हम इस आर्टिकल में आपको एक ऐसे बिजनेस सक्सेस स्टोरी के बारे में बताने वाले हैं जैसे सुनकर आप लोगों के पैरों तले जमीन की तरफ जाएगी क्योंकि अक्सर क्या होता है ? जब भी किसी पिता के बच्चे बीमार हो जाते हैं तो वह अपना आपा खो बैठता है।

हर प्रकार से कोशिश करता है कि वह अपने बच्चों को अच्छी जिंदगी दे सके और उनकी मोह माया में आकर उनके सिक्योर भविष्य के लिए हर प्रकार की कोशिश करता है। ‌ लेकिन इस महेश गुप्ता नाम के शख्स के बारे में बता रहे हैं इसमें अपने बच्चों की बीमारी से आइडिया लेकर पूरे भारतवर्ष के लोगों के लिए बहुत ही अच्छा काम किया है इसके अलावा आज के समय इनके प्रोडक्ट विदेश में भी सप्लाई किया जा रहे हैं।

कौन है महेश गुप्ता ‌?

बीते कुछ दिनों में बीमारियां काफी बढ़ चुकी है। हालांकि कुछ नए-नए बिजनेस आइडिया आ रहे हैं. जिसकी वजह से भारत की काफी इकोनामिक बढ़ चुकी है हम आपको बता देना चाहते हैं कि महेश गुप्ता भी इसी बिजनेस मॉडल का हिस्सा है. जिन्होंने भारत की इकोनॉमी में काफी योगदान दिया है। आप लोगों ने केंट RO (Kent RO) का पानी तो पिया ही होगा। इसका आविष्कार और टेक्नोलॉजी महेश गुप्ता की है। इन्हीं की वजह से आप आज लोग इतना शुद्ध पानी पी पाते हैं। अब आईए जानते हैं इन्होंने अपनी सफलता की कहानी कैसे शुरुआत की?

Mahesh Gupta Success Story

महेश गुप्ता की सफलता की कहानी की बात करे तो इसकी शुरुआत बच्चों की बीमारी से तंग आकर की गई थी. शुरुआत में महेश गुप्ता जी इंडियन ऑयल में साधारण सी नौकरी करते थे. इसके बाद उनके बच्चे हैजा जैसी बीमारियों से ग्रसित हो चुके थे। ‌ जिसका एकमात्र कारण है कि पानी की क्वालिटी खराब होना. इस बात से परेशान होगा इन्होंने इसके ऊपर रिसर्च करना शुरू कर दिया।‌ फिर पाया कि भारत में उसे समय 2 लाख से अधिक लोग गंदे पानी की समस्या से पीड़ित हैं।

इसी बात से एक तरफ तो आईडी आया, तो दूसरी तरफ मार्केट में कंपटीशन की वजह से एक दफा उनको डर भी लगा था। हालांकि पहले के समय में इस परेशानियों का हल निकालने के लिए कोई हाइजीनिक और बिना रेडिएशन वाले टेक्नोलॉजी पर कोई भी काम नहीं कर रहा था जो कि उनके लिए एक प्लस पॉइंट था। इन्होंने इसी बात का फायदा उठाकर अपने व्यवसाय की शुरुआत की।

नौकरी छोड़ 6 महीने तक रिसर्च की

इनके पास शुरुआत में मात्र ₹20000 थे जिसके बाद उन्होंने इसी पैसे से अपना व्यवसाय शुरू किया और नौकरी तक को छोड़ दिया था. रिपोर्ट्स की माने तो इन्होंने वॉटर प्यूरीफायर बनाने के लिए बिजनेस मॉडल की शुरुआत की थी उसे समय उनके पास केवल ₹20000 ही थे. इसी पूंजी से इन्होंने अमेरिका से मेम्बर्न और पंप मंगाया था। ‌ इसके बाद 6 महीने तक अपनी रिसर्च को जारी रखा। ‌ स्पीच अन्य कई बार असफलताओं का सामना करना भी पड़ा था लेकिन पानी की अशुद्धि फिर भी नहीं जा पा रही थी। फिर एक दिन इन्होंने टेक्नोलॉजी का आविष्कार किया जिसकी वजह से अशुद्ध दूर करने के लिए रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) नाम की टेक्नोलॉजी खोज निकाली। ‌

इस प्रकार साल 1999 में केंट RO अस्तित्व में आया। हवा की शुरुआत कंपटीशन का सामना करना पड़ा। क्योंकि इनके प्रोडक्ट की क्वालिटी अच्छी थी और पानी को शुद्ध करने के लिए किसी प्रकार की रेडिएशन का इस्तेमाल नहीं किया जाता था जो इनके लिए एक प्लस पॉइंट रहा। इससे लोगों को उनका प्रोडक्ट पसंद आया. फिर देखते ही देखते इनका बिजनेस रात और रात बढ़ चुका था. आज के समय क कंपनी का सालाना टर्नओवर 11000 करोड रुपए का है। ‌


मेरा नाम विशाल ओझा है. मैने Mathematics से B.sc किया हुआ है। मुझे विज्ञान की अच्छी जानकारी है। इसके अलावा में बिजनेस, मौसम या टेक्नोलॉजी का ज्ञान रखता हूं। इंशॉर्टखबर पर इसी फील्ड में योगदान दे रहा हूं।