
नई दिल्ली । Ved Krishna Success Story: वेद कृष्णा अयोध्या के रहने वाला एक ऐसा लड़का है जो कभी पायलट बनने का सपना देख रहा था और बाद में उनके पिताजी के द्वारा आग्रह करने पर यह है विदेश से लौटकर अपने घर पर आ जाते हैं और फिर अपने फैमिली बिजनेस को संभालते हैं। इनके फैमिली बिजनेस जिनको उनके पिताजी के द्वारा शुरू किया गया था कोई खास रिस्पांस नहीं मिल रहा था इसके बाद इन्होंने नए प्रोडक्ट को और नई मशीनों के साथ नया नाम से अपने पुराने बिजनेस क्यों शुरू किया ।
तो यह इतना चल पड़ा की 40 से अधिक देशों में यह अपनी कंपनी के प्रोडक्ट को एक्सपोर्ट कर रहे हैं और भारत की थाप पूरे दुनिया भर में फैला रहे हैं। जी हां वेद कृष्ण के बारे में बात कर रहे हैं जो अयोध्या के रहने वाले हैं और पैका लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट के तौर पर कार्यरत हैं। इन्हें भी सफलता इतनी आसानी से नहीं मिली है बल्कि इन्होंने पल-पल ठोकर खाने के बावजूद भी हार नहीं मानी और लगातार अपने नए-नए एक्सपेरिमेंट करते गए और उनका एक्सपेरिमेंट की बदौलत एक नया मुकाम मिल गया।
Ved Krishna Success Story
वेद कृष्णा वैसे तो आज के समय किसी पहचान की मोहताज नहीं है जो लोग अयोध्या के हैं उनको तो कम से कम वेद कृष्ण की सफलता की कहानी (Ved Krishna Success Story) के बारे में एक बार जरूर पढ़ना चाहिए क्योंकि अयोध्या अभी पिछले कुछ दिनों से खबरों के बीच वायरल हो रही है क्योंकि राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह हाल ही में अयोध्या में संपन्न हो चुका है जिसके बाद अयोध्या खबरों के बीच आ चुकी है। इन्होंने अपनी हायर स्टडी को विदेश में रहकर शुरू किया था ।
और अपने पिताजी के अनुरोध पर यह वापस आ जाते हैं इसके बाद अपने पिताजी के द्वारा शुरू की जाने वाली यश पेपर्स नाम की फैक्ट्री को चलते हैं जो की सफल नहीं रह पाती है इसके बाद उनके पिताजी की मृत्यु हो जाती है। और 1981 में पिताजी के द्वारा शुरू हुई यश पेपर्स नाम की यह फैक्ट्री जो बदामी रखे कागज बनाती थी। इसमें कोई खास रिस्पांस नहीं मिलता है. वेद कृष्ण ने भी इसको संभालने की काफी कोशिश की लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिल रहा था तो इसकी वजह से Ved Krishna अपना आपा खो बैठे थे।
प्रोडक्ट बदला तो चार चांद लग गए ब्रांड में
अब एक नया मोड़ आता है जब वेद कृष्ण ने अपने पिता के डी के द्वारा शुरू किए जाने वाली इस नई कंपनी को बेचने का भी काफी प्रयास किया. जो कि इतने प्रयास के बावजूद भी सफल नहीं हो सकी. इसके बाद इन्होंने बेस्ट मटेरियल (गन्ने की खाई) का उपयोग करके यश पेपर को फ्लैक्सिबल और सस्टेनेबल पैकेजिंग प्रोडक्ट बनाने के लिए शुरू कर दिया और साल 2007 – 8 की बात है. जब इन्होंने चक (Chuk) नाम का एक ब्रांड लॉन्च किया।
इसके अंतर्गत गाने की खाई का इस्तेमाल करके पेपर प्लेट के पैकेजिंग प्रोडक्ट बनाए जाते थे । इसके बाद सरकार ने भी सिंगल उसे की प्लास्टिक पर बैन लगा दिया और इनका ब्रांड इको फ्रेंडली होने की वजह से तेज रफ्तार से दौड़ने लगा और कुछ ही दिन में काफी अच्छी ग्रोथ भी इसको मिल चुकी थी। धीरे-धीरे कंपनी का प्रोडक्शन कर भी बढ़ता गया और 40 से अधिक देशों में भी इन्होंने अपने प्रोडक्ट को एक्सपोर्ट करना शुरू कर दिया।
कंपनी को पैका लिमिटेड के रूप में बदला
इसके बाद इन्होंने यश पेपर्स नाम की कंपनी को रिवाइंड करके फिर से पैका लिमिटेड के रूप में शुरू किया. कंपनी के सीईओ के रूप में अनुभवी प्रोफेशनल को बिठाकर खुद बाहर से रणनीति बनाने के काम पर लग गए। इसके बाद साल 2019 की बात है जब उन्होंने कंपनी को पैका लिमिटेड (Pakka Limited) का नाम दिया। आज के समय में यह कंपनी मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में भी लिस्ट की जा चुकी है। लगातार कंपनी में इन्वेस्टर की संख्या भी बढ़ती ही जा रही है और यह काफी अच्छी ग्रोथ कर रही है।

मेरा नाम विशाल ओझा है. मैने Mathematics से B.sc किया हुआ है। मुझे विज्ञान की अच्छी जानकारी है। इसके अलावा में बिजनेस, मौसम या टेक्नोलॉजी का ज्ञान रखता हूं। इंशॉर्टखबर पर इसी फील्ड में योगदान दे रहा हूं।