
नई दिल्ली ! Piyush Bansal, जिस शख्स का नाम है उन्होंने अपने कंपनी शुरू करने से पहले माइक्रोसॉफ्ट की नौकरी भी छोड़ दी थी. सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री के मामले में टॉप कंपनी में माइक्रोसॉफ्ट का नाम आता है. इतने अच्छे पैकेज वाली नौकरी को छोड़कर एक खुद के बिजनेस को शुरू करना काफी चैलेंज में टास्क किसी के लिए हो सकता है कुछ ऐसा ऐप उसे फंक्शन ने किया है जो आज लेंसकार्ट के फाउंडर है। इन्होंने चश्मा बेचने के इस बिजनेस को शुरू कर दिया है अभी के समय में उनके करोड़ों की वैल्यूएशन कंपनी की है।
Piyush Bansal कौन है ?
पियूष बंसल का नाम तो आपने सुना ही होगा अगर नहीं सुना है तो आप लोगों ने उनकी कंपनी लेंस कार्ड का नाम तो जरुर सुना ही होगा जो चश्मा बेचने के लिए बहुत ही ज्यादा मशहूर है. अभी कुछ दिनों पहले ही इस लेंसकार्ट की वेबसाइट पर फ्री में चश्मा रिपेयर करने का ऑफर भी आया था तो हो सकता है कि आप लोगों ने इस पर लाभ उठाया होगा. किसी कंपनी के मालिक का नाम पुरुष बंसल है ।

जिनकी सक्सेस स्टोरी (Piyush Bansal Success Story) के बारे में आप जानने वाले हैं। अभी के समय केवल यह पियूष बंसल जी लेंसकार्ट के भरोसे नहीं है बल्कि अभी भी दूसरे के सारे बिजनेस में एक इन्वेस्टर के तौर पर काम कर रहे हैं और सारा टैंक इंडिया में भी जज के तौर पर काम कर रहे हैं। जब इन्होंने लेंसकार्ट कंपनी की शुरुआत की थी तो ठान लिया था कि लोगों को चश्मा पहनना ही है। किसी की करोड़ों कंपनी के मालिक बन चुके हैं।
Piyush Bansal Success Story
कहते हैं की सफलता उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है और बिजनेस करने के लिए पैसे नहीं लगते हैं बल्कि रिस्क लेना पड़ता है. कुछ ऐसा ही रिश्ते पियूष बंसल ने अपनी जिंदगी में लिया था जिसके बाद आज यह करोड़ कंपनी के मालिक बन चुके हैं दरअसल उनकी कहानी की शुरुआत होती है जब इनकी जॉब माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में लग जाती है. साल 2007 की बातें जब यह है माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में काम कर रहे थे ।

और 1 साल भी पूरा नहीं हुआ था इन्होंने अपनी जॉब से रिजाइन कर दिया था। उनकी इस लाखों के पैकेज वाली नौकरी छोड़ने से न केवल दोस्त रिश्तेदार बल्कि उनके परिवार वाले भी काफी समझा रहे थे लेकिन इनके अंदर एक अलग ही जुनून था जिसकी वजह से ही Piyush Bansal अपनी नौकरी को छोड़कर अपने देश भारत वापस आ गए और अपने सपनों को पूरा करने के लिए काम पर लग गए।
Lenskart की ऐसी करी शुरुआत
लेंसकार्ट की शुरुआत काफी मुश्किल थी. साल 2007 में लेंसकार्ट के फाउंडर पियूष बंसल ने अपनी नौकरी छोड़ने के बाद भारत आकर एक वेबसाइट शुरू की इस वेबसाइट (माय केंपस) की मदद से कई सारे छात्र पार्ट टाइम तो जॉब ढूंढ ही रहते थे इसके अलावा पढ़ने के लिए किताबें और कई सारी आवश्यक वस्तुएं उन्हें यहां पर मिल जाती थी।
करीब 3 साल तक इसी प्रोजेक्ट पर काम करने के बाद उन्होंने सभी इंडियन के बिहेवियर को समझ कर आगे चलकर कर और वेबसाइट लांच की. लेकिन चार में से उन्होंने एक प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया था. जिसका नाम आई वियर था. यह नाम ही आगे चलकर लेंसकार्ट का रूप ले लेता है।
लेकिन यह सफर इतना आसान नहीं रहता है। जितना यहां आपको पढ़ने में लग रहा है। जब उन्हें यहां पर भारत में लोगों की प्रॉब्लम समझ आ गई तो उन्होंने अपने आईवियर की इस बिजनेस को आगे बढ़ा दिया था। अलग-अलग शहरों में इसके आउटलेट्स खोल दिए और धीरे-धीरे इस कंपनी के कस्टमर बढ़ते गए। किसी के साथ-साथ वैल्यूएशन बढ़ती गई और एक समय यह लेंसकार्ट यूनिकॉर्न कंपनी बन चुकी थी। अभी के समय में पियूष बंसल शार्क टैंक इंडिया में एक जज के तौर पर काम कर रहे हैं।

मेरा नाम विशाल ओझा है. मैने Mathematics से B.sc किया हुआ है। मुझे विज्ञान की अच्छी जानकारी है। इसके अलावा में बिजनेस, मौसम या टेक्नोलॉजी का ज्ञान रखता हूं। इंशॉर्टखबर पर इसी फील्ड में योगदान दे रहा हूं।