आदि गुरु शंकराचार्य की मृत्यु कैसे हुई?

आदि गुरु शंकराचार्य की मृत्यु कैसे हुई?
आदि गुरु शंकराचार्य की मृत्यु कैसे हुई?
WhatsApp Icon Join our WhatsApp Group

नई दिल्ली ।‌‌ भारत हमेशा से ही ऋषि मुनियों की धरती रही है इसलिए इसका नाम भारत है. किसी भारत की धरती पर संस्कृत के प्रकांड पंडित कहे जाने वाले आदि गुरु शंकराचार्य के संबंध में कई लोगों को जानकारी प्राप्त नहीं होती है कि आगे उनकी मृत्यु कैसे हुई? इस खबर के अंतर्गत हम आपको बताने वाले कि आदि गुरु शंकराचार्य की मृत्यु कैसे हुई? और कहां हुई? इसके अलावा और भी कई सारी जानकारी इस घर के अंतर्गत आपको दी जाने वाली है तो इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पड़े !

आदि गुरु शंकराचार्य कौन है?

आदिगुरु शंकराचार्य भारत के उन महान ऋषि मुनियों में से एक थे, जिन्होंने इस समाज को धार्मिक और सही रास्ता दिखाया था. इनका जन्म 507 ईसा पूर्व में केरल की काडली नमक ग्राम में हुआ था. बचपन से ही यह बहुत ही ज्ञानी थे. इनकी माता पिता का नाम कर्म शाह आलमबाग और शिव गुरु भट्ट था. आदिगुरु शंकराचार्य शिवजी की भक्ति में लीन रहते थे.

क्योंकि उनके माता-पिता नहीं शिवजी की आराधना करके ही पुत्र प्राप्ति की थी. लेकिन आदिगुरु शंकराचार्य जी की आयु बहुत ही कम थी. इसी वजह से क्यों नहीं 8 वर्ष की अवस्था में सन्यास ग्रहण करके भगवान शिव जी को खुश करके अपनी आयु को बढ़ा दिया था. इसके बाद बहुत कम आयु में यह तपस्वी और संस्कृत के प्रकांड पंडित बन चुके थे। इन्होंने पूरी दुनिया को धार्मिक मार्ग पर चलना सिखाया।

8 वर्ष की अवस्था में किया संन्यास ग्रहण

आदिगुरु शंकराचार्य जी ने अपने कम आयु में ही सन्यास को ग्रहण करने के लिए काफी परेशानियों का सामना किया था. लेकिन उनकी माताजी इन्हें सन्यास ग्रहण नहीं करने दे रही थी इसी वजह से एक बार यह शंकराचार्य जी नदी किनारे बैठे हुई थे, तब मगरमच्छ ने इनका पैर पकड़ लिया था। तब इन्होंने अपनी माता से यही बहाना बनाया कि अगर आप मुझे सन्यास ग्रहण करने की आज्ञा नहीं देगी तो मुझे मगरमच्छ का जाएगा. इसके बाद उन्होंने गोविंद नाथ गुरुदेव से संन्यास ग्रहण किया।

बौद्ध धर्म को मिथ्या प्रमाणित किया

भगवान बुद्ध के द्वारा स्थापित बौद्ध धर्म को कई सारे लोग अपने लगे थे. जो की ईश्वरीय मार्ग से होकर नहीं जाता था. अर्थात बौद्ध धर्म के लोग निरश्वारवादी हुआ करते थे। आदि शंकराचार्य गुरु जी ने बौद्ध धर्म को मिथ्या साबित करके वैदिक धर्म को पुनः स्थापित करने के लिए कई सारे कार्य किए हैं. लोगों को अपना धार्मिक मार्ग पर लाकर ईश्वर से जोड़ने का कार्य भी इन्हीं के द्वारा किया गया है। ‌ इन्होंने पूरे भारत के भ्रमण के दौरान कई सारे ऋषि मुनियों को शास्त्रार्थ में पराजित किया है।

आदि गुरु शंकराचार्य की मृत्यु कैसे हुई?

इतना सब कुछ हो जाने के बावजूद भी इन्हें बिल्कुल भी घमंड नहीं था. पूरे भारत भ्रमण के दौरान इन्होंने कई सारे ग्रंथों की रचना करके लोगों में ईश्वरीय भावनाओं को जोड़कर भारत भ्रमण के दौरान 32 वर्ष की अवस्था में उत्तराखंड के केदारनाथ में स्थित हिमालय क्षेत्र में इन्होंने अपने प्राण त्याग दिए थे. यह जानकारी पुराणों में दी गई है। ‌ अपने अंतिम समूह में आदि गुरु शंकराचार्य जी हिमालय क्षेत्र में लीन हो चुके थे. तो कुछ ऐसे पुराण है जो कहते हैं कि आदिगुरु शंकराचार्य जी की मृत्यु उनके जन्म स्थान केरल में ही हुई थी। ‌

डिस्क्लेमर : यहां पर मुहैया कराई गई समझते जानकारी इंटरनेट के माध्यम से और लोक जानकारी के अनुसार प्राप्त की गई है। ‌‌ किसी भी जानकारी के सही होने की पुष्टि हमारी टीम बिल्कुल भी नहीं करती है। ‌ किसी भी बात पर अमर करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।


इन्शोर्टखबर एक डिजिटल न्यूज़ वेबसाइट है. जिस पर आपको अपने फील्ड के एक्सपर्ट के द्वारा आसान शब्दों खबरें पढ़ने को मिलती है. इस पर विभिन्न विषय पर खबर पढ़ सकते है.