Makar Sankranti 2024: इस शुभ मुहूर्त में करें मकर संक्रांति की पूजा, जाने डीटेल्स

Makar Sankranti 2024
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नई दिल्ली ! मकर संक्रांति का त्यौहार (Makar Sankranti) पूरे भारतवर्ष में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है इस दिन सूर्य और धनु राशि से निकल कर मकर राशि पर प्रवेश करता है।‌ इसी वजह से इसे मकर संक्रांति का त्योहार कहा जाता है और इस साल मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी को सेलिब्रेट किया जा रहा है।‌ जिसके शुभ मुहूर्त की शुरुआत भी हो चुकी है. अगर आप भी इसके बारे में जानना चाहते हैं तो सही खबर पढ़ रहे है।

Makar Sankranti का शुभ मुहूर्त

मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त की शुरुआत 15 जनवरी को शो है 7:54 पर हो चुकी है अतः पुण्य काल की बात करें तो यह सुबह 7:15 से शुरू होकर 5:46 तक रहने वाला है और वहां पर निकल सुबह 7:15 से शुरू होगा तथा 9:00 बजे तक वहां पर निकाल कर समय रहने वाला है ।‌ इसी के अलावा आपको बता दें कि मकर संक्रांति की पूजा करने के लिए सूर्य देव की उपासना करना बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। ‌

मकर संक्रांति के लिए पूजा सामग्री और विधि

सूर्य देव की पूजा करने के लिए मकर संक्रांति के अवसर पर आप लोगों को सूर्य देव की प्रतिमा के अलावा फल फूल गंगाजल खिचड़ी दही चुरा तिल के लड्डू समेत कई सारे प्रकार के व्यंजन की आवश्यकता पड़ने वाली है. इसके अलावा सभी को एकत्रित करके पुराणों के अनुसार सुबह नदी में स्नान सूर्योदय से पहले उठकर करना होता है। ‌

अपने घर के मुख्य द्वार पर आम के पेड़ के पत्ते लगाने के बाद विधि विधान से सूर्य देव की पूजा की जाती है इसके अलावा आप लोग शनिदेव की पूजा कर सकते हैं इसके लिए शनि मंत्र में तेल चढ़ाने के साथ तिल्ली के लड्डू और लोहे की धातु का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। क्योंकि अगर आपकी राशि में शनि का वास होता है तो इतने छुटकारा मिल जाता है। ‌ पूजा से संबंधित अधिक जानकारी के लिए आप लोग नजदीकी मंदिर के पंडित जी सलाह जरूर ले। ‌

मकर संक्रांति का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

Makar Sankranti का पाव बनाने के पीछे वैज्ञानिक कारण और धार्मिक कारण दोनों होते हैं अलग-अलग राज्यों में इस्तेमाल को अलग-अलग नाम से जाना जाता है. आपको पता नहीं की कई जगह पर ऐसी खिचड़ी के पर्व के नाम से भी जाना जाता है और इसके अलावा सूर्य जब मकर राशि में धनु राशि से लेकर को प्रवेश करता है तो इसे मकर संक्रांति के त्यौहार के रूप में मनाते हैं।

इस दिन से प्रकृति में भी कई सारे बदलाव शुरू होना चालू हो जाते हैं इसी के साथ-साथ सूर्य देव की पूजा का बहुत ही अधिक महत्व माना जाता है और आप लोग शनिदेव की पूजा भी कर सकते हैं धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से मिलने के लिए उनके घर पर जाते हैं। कई सारी फसले भी मकर संक्रांति के अवसर पर काटकर घर आती है और अनाज के रूप में भी इसे मनाया जाता है। खिचड़ी बनाने के पीछे मुगलकालीन इतिहास भी इसके साथ जुड़ा हुआ है। ‌


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