होली के अवसर पर एमपी में भील जाति के लोग मानते हैं भगोरिया त्यौहार, जाने क्या है इसका इतिहास?

भगोरिया त्यौहार क्या है?
भगोरिया त्यौहार क्या है?
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भगोरिया त्यौहार क्या है? – मध्य प्रदेश में कई सारी जा रही है निवास करती है और मध्य प्रदेश के अलावा अलग-अलग राज्यों में जातियां अलग-अलग पाई जाती है ऐसे ही एमपी के एक मोस्ट पॉपुलर जनजाति है भील. जनजाति की बातें तो कैसा विकास बातें हैं लेकिन आज के इस आर्टिकल के अंतर्गत हम आपको होली के अवसर पर मनाया जाने वाले भगोरिया त्यौहार के संबंध में जानकारी देने वाले हैं। ‌ भगोरिया त्योहार होली के अवसर पर मनाया जाता है उसे त्यौहार की खास बात कुछ ऐसी है कि आप लोगों के पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। ‌

भगोरिया त्यौहार क्या है?

भगोरिया त्योहार को मध्य प्रदेश के भील जनजाति मुख्य रूप से मनाती जाती है. यह मुख्य आदिवासी लोग जो जंगलों में निवास करते हैं वह बड़ी हर्ष उल्लास के साथ इस त्यौहार को सेलिब्रेट करते हैं अगर आप इस त्यौहार के बारे में जानना चाहते हैं तो इस खबर को पूरा पढ़ सकते हैं परंतु हम आपको इतना बता दें कि यह उनके लिए एक हर्षोल्लास से भरा हुआ दिन होता है. जिसकी खास बात यह है कि कोई भी प्रेमी जोड़ा अपने पसंद की लड़का या लड़की के साथ भाग कर शादी कर सकता है यह उनकी परंपरा मानी जाती है और उसमें किसी भी व्यक्ति की छेड़छाड़ मंजूर नहीं होती.

कब है भगोरिया त्यौहार?

भील जनजाति मुख्यतः मध्य प्रदेश के हिस्सों में पाई जाती है. जो की भगोरिया त्यौहार का पारंपरिक संस्कृति त्योहार माना जाता है. यह तो हर होली के आसपास या होली के अवसर पर ही मनाया जाता है. इस साल छोटी होली 24 मार्च को और बड़ी होली 25 मार्च को मनाई जा रही है. अतः इसी के आसपास भील जनजाति के लोग भगोरिया त्यौहार मनाने वाले हैं.

कब है भगोरिया त्यौहार?
कब है भगोरिया त्यौहार?

हम त्योहारों की तरह यह लोग भी अपने घरों की साजिश सजावट और अपनी संस्कृति के अनुसार पहनावा भी पहनते हैं. भगोरिया त्यौहार की शुरुआत 18 मार्च 2024 से हो चुकी है. क्योंकि मुख्यतः 7 दिन तक मनाया जाता है अतः इस हिसाब से देखा जाए तो 24 मार्च को यह त्यौहार खत्म हो रहा है. 24 मार्च को पूरे भारत में से छोटी होली मनाई जाने वाली है और 25 मार्च को बड़ी होली रंगो के त्यौहार के रूप में मनाए जाने वाली है.

कहां मनाया जाता है भगोरिया त्यौहार?

मुख्यतः भील जनजाति के लोग भगोरिया त्यौहार मनाते हैं. जो कि मध्य प्रदेश के मुख्य जनजाति को में से एक मानी जाती है. आगर जिले की बात करें तो यह एमपी केधार, मध्‍य प्रदेश के झाबुआ, खरगोन, अलीराजपुर, करड़ावद जैसे जिलों में मुख्य रूप से मनाया जाता है. यह त्यौहार 24 मार्च को समाप्त हो रहा है. इस्तेमाल पर सभी महिलाएं परंपरा के अनुसार मैले और हाट में साथ – सजावट के साथ जाती है.

यह मालवा और निर्माण के ग्रामीण क्षेत्र में हर्ष उल्लास के दौरान हाट का भी आयोजन किया जाता है. पड़ोसी राज्यों में जो लोग मजदूरी करने के लिए जाते हैं वह लोग भी अपने घरों पर इस त्यौहार को सेलिब्रेट करने के लिए पहुंचने लगे हैं. वर्तमान समय में जो भगोरिया त्यौहार मनाया जाता है उसकी खास बात यह है कि यह परंपरा के साथ आधुनिकता को भी अपनाने लगे है. एक हाथ में मोबाइल तो दूसरे हाथ में स्टाइलिश चश्मा और सेल्फी के साथ अब यह त्यौहार मनाया जाता है।

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