
Panchmukhi Hanuman Ji: धर्म की जानकारियों के द्वारा अक्सर कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को बार-बार पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर दिखाई दे रही है या सपने में बार-बार पंचमुखी हनुमान जी दर्शन दे रहे हैं तो यह उसके लिए शुभ संकेत है. लेकिन क्या आपको पता है यह पंचमुखी हनुमान जी के पांच मुख किसके प्रतीक है. जी हां आज के इस आर्टिकल में हम आपको इसी की जानकारी देने वाले हैं। इन पांचो दिशाओं से मिलकर ही पंचमुखी हनुमान जी बने है.
Panchmukhi Hanuman Ji
हनुमान जी की कई सारे अवतार माने जाते हैं और उनको कई नाम से पुकारा जाता है ऐसे में जाकर हनुमान जी के पंचमुखी अवतार के बारे में बात करें तो उनके पास से अलग-अलग दिशाओं के प्रति के रूप में पूजे जाते हैं. इसके अलावा घर में पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर लगाना या पंचमुखी हनुमान जी में मंदिर के दर्शन करना बहुत ही शुभ माना जाता है.
हनुमान जी ने पंचमुखी अवतार कब धारण किया?
इसके पीछे एक लंबी कथा यह है कि जब भगवान श्री राम और रावण का युद्ध चल रहा था उसे दौरान रावण का एक भाई अहिरावण जो पाताल लोक का स्वामी और मां काली का भक्ति माना जाता था. रावण ने उससे मदद मांगी थी और मां काली ने उसे वरदान दिया था कि जब भी कोई पांच दिशाओं में रखे हुए दीपक को बुझा देगा तो वही व्यक्ति हरी रावण का वध कर पाएगा. क्योंकि उसने पहले से जला कर रखे हुए थे.
विभीषण को यह कल समझ आ जाती है क्योंकि वह भी राक्षस प्रजाति का था. इसके बाद उन्होंने हनुमान जी कोई है सारी बात बात कर उनको अहिरावण के द्वारा लक्ष्मण जी को अपहरण करके पाताल लोक ले गया था. तो उनकी मदद करने के लिए विभीषण ने हनुमान जी से कहा था. इसके बाद हनुमान जी ने पंचमुखी अवतार धारण करके उन पांच दिशाओं में रखे हुए दीपक को बुझा दिया था. हालांकि इससे पहले उनका सामना खुद की पुत्र से हुआ था. जिसे हनुमान जी ने स्वयं ही पराजित कर दिया था.
हनुमान जी के 5 चेहरे
पंचमुखी हनुमान जी के 5 चेहरे हैं. यह चेहरे किसी ने किसी बात के प्रति थी. अतः आप बता दे कि उत्तर दिशा में बराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख , पश्चिम मे गरुण मुख, और पूर्व में हनुमान जी का मुख तथा आकाश की तरफ हयग्रीव मुख प्रतीक था. हनुमान जी का पंचमुखी अवतार था उसमें त्रिनेत्र होने के साथ-साथ दो भुजाएं होती थी जिसकी वजह से अगर पांचो मुख की भुजा देखी जाए तो यह अलग-अलग अर्थ रखती है.
पंचमुखी हनुमान जी की पूजा विधि
आमतौर पर हनुमान जी की पूजा करने के लिए उनकी पसंदीदा बस्ती पूजा में शामिल की जाती है और आरती या फिर मित्रों का उच्चारण किया जाता है इसके अलावा इसके लिए एक वेदी पर हनुमान जी की तस्वीर रखकर उसके बाद उनकी पूजा आरंभ की जाती है लेकिन पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने के लिए आप सबसे पहले उनके चित्र तस्वीर को लेकर दक्षिण दिशा में रखें. इसके बाद प्रत्येक मंगलवार को उनकी पूजा की जा सकती है. इस दौरान आप मेट्रन का उच्चारण कर सकते हैं. साथी हनुमान चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं.

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