
नई दिल्ली । अगर आप बसंत पंचमी के त्यौहार का इंतजार कर रहे हैं तो आपको बता देना चाहते हैं कि 14 फरवरी को बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाने वाला है। इस त्यौहार पर खास बात यह है कि राजा भोज का जन्मदिन (Raja Bhoj Birthday) किसी को याद ही नहीं रहता है. जो कि हमारे पौराणिक समय में मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध राजाओं में से एक रहे हैं. इन्होंने जन्म मानस के लिए काफी सारी योगदान दिए हैं और ऐसे कई सारे प्रोग्राम शुरू की है जिनकी वजह से उनकी परीक्षा को सुख शांति और समृद्धि मिले।
Raja Bhoj Birthday
इस साल बसंत पंचमी का त्योहार 14 फरवरी को मनाया जाने वाला है. 14 फरवरी 2024 को बसंत पंचमी का त्यौहार के अलावा वैलेंटाइन डे भी है. जिसको प्यार के संकेत के रूप में लोग मानते हैं। लेकिन अफसोस इस बात कहे कि भारत के लोगों को उनके इतिहास के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं है जो बसंत पंचमी के दिन ही घटित हुआ था। अर्थात 14 फरवरी को एक तरफ राजा भोज का जन्मदिन आता है, तो दूसरी तरफ इस दिन ही मोहम्मद गौरी को पृथ्वीराज चौहान के द्वारा उनकी छाती चीर दी गई थी।
राजा भोज का जन्मदिन कब है?
बसंत पंचमी के दिन साल 980 में विक्रमादित्य की नगरी उज्जैन में राजा भोज पैदा हुए थे. यह भारत के सबसे प्रतापी राजाओं में से एक थे. अतः सम्राट विक्रमादित्य के वंशज के रूप में भी लोग उन्हें जानते हैं। जो की एक चक्रवर्ती सम्राट थे। मात्र 15 वर्ष की छोटी आयु में ही अपना राज्य अभिषेक करवाकर मालवा की रांची सिंहासन पर बैठ गए थे।
इन्होंने अपने पौराणिक काल में कई सारे ऐसे कार्य किए हैं जो जनता की सुख के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं । राजा भोज अपने जन्म दिवस के अवसर पर कई सारे ऐसे धार्मिक कार्य करवाते थे । जिसकी वजह से लोगों को कई सुविधा प्रदान होती थी इसके अब आपको बता दे की राजा भोज बसंत पंचमी कितने एक बड़ा उत्सव आयोजित करवाते थे ।
24 दिन तक चलती थी प्रजा के लिए भोजन व्यवस्था
राजा भोज बसंत पंचमी के दिन ही अपने जन्म दिवस के अवसर पर आयोजित किए जाने वाले उत्सव में वह पूरी प्रजा के लिए प्रीति भोज का आयोजन रखते थे। इतना ही नहीं यह भोजन व्यवस्था 24 दिन तक चलती थी। यानी कि लगभग 1 महीने तक उनके नगर का कोई भी व्यक्ति इसमें जाकर खाना खा सकता है। इस दिन सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जो हिंदी साहित्य के महान लेखकों में से एक हैं। इनका सबसे प्रसिद्ध लेख निर्धनों के लिए प्रेम और पीड़ा थी। इसका नाम ‘महाप्राण’ है।
बसंत पंचमी को क्या किया जाता है ?
भारतीय इतिहास में बसंत पंचमी का बहुत ही अधिक महत्व होता है इस श्री पंचमी या फिर एक पवित्र हिंदू त्योहार के रूप में मनाया जाता है. इस दिन माता सरस्वती और कामदेव की पूजा की जाती है. छत्रपति माता को समर्पित बसंत पंचमी के दिन उन्हें पीले पुत्र पीले वस्त्र और पीले रंग के फल फ्रूट से इत्यादि समर्पित किए जाते हैं क्योंकि माता जी को पीला रंग बहुत ही अधिक पसंद होता है।
पौराणिक ग्रंथों अनुसार बसंत पंचमी का त्यौहार अनुकूल मौसम के लिए भी मनाया जाता है। इस दिन प्रकृति में एक खास परिवर्तन आता है। फूल पत्तियों पर पौधों की बहार आ जाती है और आम के पेड़ों पर भी फूलों की बहार आ जाती है। खेतों में सरसों के फूल सोने जैसे चमकने लगते हैं गेहूं की बालियां खेलने लगते हैं। अतः देखा जाए तो एक तरीका तो बसंत पंचमी देवी देवताओं के अलावा किसान के द्वारा की जाने वाली खेती को भी समर्पित है।

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