कामाख्या मंदिर कब जाना चाहिए? यह समय है बिल्कुल सही ‌!

कामाख्या मंदिर कब जाना चाहिए? यह समय है बिल्कुल सही ‌!
कामाख्या मंदिर कब जाना चाहिए? यह समय है बिल्कुल सही ‌!
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नई दिल्ली ! असम के गुवाहाटी शहर में प्रसिद्ध मंदिर है जो कामाख्या देवी के मंदिर के नाम से जाना जाता है अगर आप भी इंटरनेट पर सर्च कर रहे हैं कि कामाख्या देवी मंदिर कब जाना चाहिए? तो आप एकदम सही लिख पढ़ रहे हैं क्योंकि इसलिए कोई अंतर्गत हम आपको यही जानकारी देने वाले हैं। इस मंदिर को माता सती के 51 शक्तिपीठ में से एक यहां पर भी गिरा था इसी रूप में वहां पर कामाख्या देवी के मंदिर की पूजा की जाती है। आईए जानते हैं कि इस मंदिर में माता जी के दर्शन करने का सही समय क्या है?

कामाख्या मंदिर कब जाना चाहिए?

सनातन धर्म में एक से बढ़कर एक मंदिर और उनकी शायरी देखने के लिए मिलती है लेकिन कामाख्या देवी के मंदिर की खास बात यह है कि यह माता सती के 51 शक्तिपीठ में से एक माना जाता है यहां पर माता सती के योनि की पूजा की जाती है क्योंकि उनके शरीर का यानी वाला भाग ही यहां पर गिरा था. इसकी वजह से यहां पर उनकी मूर्ति की नहीं बल्कि शरीर के योनि भाग की पूजा की जाती है।

अगर आप इस मंदिर पर दर्शन करने के लिए जाना चाहते हैं तो गुवाहाटी में यह Kamakhya Mandir स्थित है. किसी भी समय में इस मंदिर के दर्शन के जा सकती है. अतः वर्ष के 365 दिन ही यहां पर माताजी के दर्शन किए जा सकते हैं। लेकिन यह तीन दिन एक अम्बुबाची मेले के दौरान मंदिर को बंद रखा जाता है। उस दौरान आपके माताजी के दर्शन करने के लिए नहीं जाना चाहिए. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इन तीन दिवसों में माता सती का मासिक धर्म रहता है. जिसके कारण मंदिरों को तीन दिन तक बंद रखा जाता है और चौथे दिन खोल दिया जाता है।

कामाख्या देवी का मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

कामाख्या देवी के मंदिर की बात करें तो इसकी प्रसिद्धि के कारण कई सारे हैं क्योंकि यहां पर आप लोगों को हिंदू मंदिर शिल्प कला के साथ-साथ इस्लामी शिल्प कला भी देखने के लिए मिलती है. यह इसके प्रसिद्ध का एक बहुत बड़ा कारण है. इसके अलावा माता सती के 51 शक्ति पीठ में से एक होने के कारण भी यह काफी ज्यादा प्रसिद्ध है. यह असम की गुवाहाटी शहर में स्थित है.

यहां से गुवाहाटी को सुंदरता के दर्शन तो किया ही जा सकते हैं इसके अलावा माता के दर्शन भी आप कर सकते हैं क्योंकि यहां पर माता सती के योनि की पूजा की जाती है. यहां पर तंत्र शिक्षा का एक केंद्र भी माना जाता है. तंत्र शास्त्र में विश्वास रखने वाले लोगों का यहां आना-जाना लगा रहता है. जो कि इसकी प्रसिद्धि का एक सबसे बड़ा कारण कहा जा सकता है।

कामाख्या देवी की पूजा विधि

हर प्रकार के देवी देवता की पूजा विधि अलग होती है इसी प्रकार कामाख्या देवी मंदिर में पूजा विधि अलग है. मंदिर में पूजा करने का अधिकार केवल पंडित जी कोई प्राप्त होता है. इसके अलावा दर्शन करने को प्रसाद चढ़ाने के लिए प्रत्येक भक्त जा सकता है. अगर आप भारत के किसी दूसरे कोने पर है और आप इस मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं लेकिन आने में सक्षम नहीं है ।

तो ऐसी स्थिति में कामाख्या देवी की मूर्ति अपने घर में साफ जगह पर स्थित करके उनकी पूजा विधि विधान के अनुसार की जा सकती है. एक थाली में पूजा के लिए सभी आवश्यक सामान जैसे कि रोली, चंदन, फूलवती और कपूर के साथ-साथ लाल या पीले रंग कपड़ा भी रख सकते हैं। इस प्रकार माता की आरती गाकर इनकी पूजा की जा सकती है. पूजा समापन होने के पश्चात कन्या को खाना खिला सकते हैं या भंडारा भी आयोजित किया जा सकता है अगर आप सक्षम है तो।