
नई दिल्ली । महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु की बात करें तो यह बहुत ही प्रसिद्ध व्यक्ति है और उदारवादी नेता भी है. अगर आप भी स्वतंत्रता संग्राम में सबसे आगे रहने वाले महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु के बारे में जानना चाहते हैं कि वह कौन थे? तो एकदम सही खबर पढ़ रहे हैं. इसके अलावा इसके अंतर्गत हम आप कौन सी जोड़ी कुछ ऐसी बातें बताने वाले हैं जो शायद ही आप लोगों को पता होगी. महात्मा गांधी उनसे क्यों प्रभावित थे? उन्हें अपना गांधी जी ने राजनीतिक गुरु क्यों बनाया?
महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु कौन थे?
महात्मा गांधी के राजनीति तो कोई और नहीं बल्कि गोपाल कृष्ण गोखले थे। जो की उदारवादी नेता थे. यह एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे जो कि हमेशा सबसे आगे रहते थे इसके अलावा उलझे हुए राजनीतिक विशेषज्ञ भी थे. जिसकी वजह से गांधी जी ने इन्हें ही अपना राजनीतिक गुरु बनाया था। इतना ही नहीं गोपाल कृष्ण गोखले के द्वारा ही महात्मा गांधी जी को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा दी गई थी और जब वह देश छोड़कर बाहर पढ़ाई करने के लिए गए थे तो इसमें भी गोपाल कृष्ण गोखले कीजिएगा ही हाथ था।
कौन थे गोपाल कृष्ण गोखले?
महात्मा गांधी जी के बारे में तो हम सभी जानते हैं लेकिन हो सकता है कि आप लोगों को गोपाल कृष्ण गोखले के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं हो तो हम आपको बता दें कि इनका जन्म 9 मई 1866 को महाराष्ट्र के कोहाट जिले में हुआ था। पैसे से यह एक समाजसेवी, विचारक और सुधारक कहे जा सकते हैं. इन्होंने भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए काफी राजनीतिक नीतियां बनाई थी। गोखले जी महादेव गोविंद रानाडे के शिष्य हैं। जिनको राजनीतिक ज्ञान होने के साथ-साथ वित्तीय मामलों की बहुत ही अधिक समझती जिसकी वजह से उन्हें ग्लेडस्टोन भी कहा गया।
महात्मा गांधी ने गोपाल कृष्ण गोखले जी को अपना राजनीतिक गुरु क्यों बनाया?
अब हो सकता है कि आपके मन में यह सवाल भी उठ रहो कि महात्मा गांधी जी ने आखिर राजनीतिक गुरु अपना गोपाल कृष्ण गोखले को ही क्यों बनाया? तो आपको बता दें कि गोखले जी राजनीतिक दृष्टि से काफी ज्यादा मजबूत होने के साथ-साथ उदारवादी व्यक्ति थे. इन्होंने 1886 में फर्ग्यूसन कॉलेज में अंग्रेजी के प्राध्यापक के रूप में अपनी सेवाएं डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी में दी है ।
इनकी असीमित प्रतिभा के कारण महात्मा गांधी ही नहीं बल्कि बाकी लोग भी काफी प्रभावित थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक सदस्य के रूप में देश की सेवा कर रहे थे। इन्होंने अंग्रेजों से लड़ाई के लिए काफी ज्यादा प्रयास किए थे महात्मा गांधी को अफ्रीका में डॉ की पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया था। इसके बाद जब महात्मा गांधी जी विदेश से पढ़ाई करके लौटे तो उन्होंने भारत की हालत को देखते हुए काफी अपने आप को आहत किया।

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