नई दिल्ली! Makar Sankranti इस साल 15 जनवरी को मनाई जा रही है यानी कि कल मकर संक्रांति का त्यौहार की शुरुआत हो जाएगी लेकिन हम आपको बता दें कि मकर संक्रांति के त्योहार पर खिचड़ी खाना अनिवार्य है लेकिन इसके पीछे भी कुछ मानता होने के साथ-साथ अलाउद्दीन खिलजी से भी इसका कनेक्शन जुड़ा हुआ है ऐसा कुछ खबरों में बताया जाता है. इसके बारे में आपके यहां पर जानकारी मिलने वाली इसके अलावा आपको बता दें कि पूरे देश भर में इस त्यौहार को अलग-अलग नाम से जाना जाता है।
Makar Sankranti 2024
मकर संक्रांति के त्यौहार की शुरुआत 15 जनवरी को तो हो जाएगी लेकिन इसके शुभ मुहूर्त में ही आपको सूर्य देव पूजन अर्पित करना चाहिए और सुबह जल्दी उठकर नदी में नहा कर बाकी के काम करना सही रहता है. इसके बाद सुबह मकर संक्रांति पर तिल के लड्डू, गुड़ के लड्डू, रबड़ी आदि इत्यादि के लड्डू बनाकर खा सकते हैं इसके अलावा आपको खिचड़ी खाने का भी विशेष महत्व इसके पीछे बताया जाता है। इसी वजह से तो कई जगह पर ऐसी खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है।
मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाना क्यों अनिवार्य है?
जैसा कि आप सब लोग जानते हैं कि भारत के कई सारे राज्यों में मकर संक्रांति के त्यौहार को अलग-अलग नाम से जाना जाता है और एक जगह ऐसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है इसी वजह से मकर संक्रांति के त्योहार पर खिचड़ी खाना बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की खिचड़ी एक पौष्टिक आहार है और इसमें उपयोग होने वाली सभी मसाले से लेकर अनाज तक, का संबंध ग्रहों से होता है.
लोकमान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि खिचड़ी में उपयोग किए जाने वाले चावल का संबंध चंद्रमा ग्रह से, नमक का संबंध शुक्र ग्रह से, हल्दी का गुरु से, हरी सब्जी का संबंध बुद्ध से, खिचड़ी बनाने के लिए आग का इस्तेमाल किया जाता है इसका संबंध है मंगल ग्रह से, उड़द की दाल और तिल का संबंध सूर्य देव तथा शनि देव से माना जाता है। वैसे भी खिचड़ी हमें खाना ही चाहिए क्योंकि यह सुपर फूड की कैटेगरी में आता है। जिसको खाने से न केवल हमारे शरीर में ताकत आती है बल्कि हमारा शरीर स्वस्थ रहता है और मिलावटी खाने से हमारे शरीर में कमजोरी पैदा हो जाती है।
मुगल इतिहास से जुड़ा है ‘खिचड़ी’ संबंध
दरअसल कथाओं में ऐसा कहा जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी और बाबा गोरखनाथ के समय से ही खिचड़ी को मकर संक्रांति का त्योहार पर बनाया जाता है और खाया जाता है. इसके पीछे की कथा यह है कि अलाउद्दीन खिलजी और उसकी सेवा से लड़ने के लिए बाबा गोरखनाथ काफी ज्यादा मेहनत कर रहे थे और उनके शिष्य भी युद्ध के दौरान खाना नहीं बन पा रहे थे. जिसकी वजह से सभी जोगियो के सारे रूप से कमजोरी का सामना करना पड़ रहा था.
इसके बाद बाबा गोरखनाथ ने सभी सब्जियों दालों अनाज को मिलाकर एक व्यंजन तैयार किया था और इसको खाने के बाद सभी योगियों में एक फुर्ती आ जाती थी। इसी वजह से इस व्यंजन को खिचड़ी नाम दिया गया था और तभी से मकर संक्रांति का त्योहार पर प्रसाद के रूप में कई जगह पर इसका सेवन किया जाता है। डॉक्टर भी बीमारी की हालत में पेशेंट को खिचड़ी खाने की सलाह देते हैं।
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