लठमार होली क्यों मनाई जाती है?

लठमार होली क्यों बनाई जाती है?
लठमार होली क्यों बनाई जाती है?
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लठमार होली 2024: भारत में बहुत सारे त्यौहार मनाया जाते हैं उनमें से एक है होली का त्योहार और होली का त्योहार मथुरा वृंदावन अर्थात भगवान श्री कृष्ण की नगरी में एक अलग ही अंदाज में मनाया जाता है अगर आप भी भगवान श्री कृष्ण की नगरी मे मनाए जाने वाले त्योहार लठमार होली के बारे में जानना चाहते हैं तो एकदम बिल्कुल सही खबर पढ़ रहे हैं ।

आपकी जानकारी के लिए बताते की अभी हाल ही में लठमार होली 18 और 19 मार्च को मथुरा वृंदावन में खेली गई है। विश्व प्रसिद्ध लक्ष्मण होली को देखने के लिए कई सारी दर्शक दूर से आते हैं. क्योंकि इसका संबंध भारत की पौराणिक संस्कृति से माना जाता है अर्थात भगवान श्री कृष्ण की द्वापर युग से समय से ही इस दिवाली को हर साल पत्र वृंदावन में मनाया जाता है और पूरे भारतवर्ष में इसे रंगो के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है.

लठमार होली क्यों बनाई जाती है?

अब जैसा कि आप जान ही चुके हैं कि भगवान श्री कृष्णा और राधा जी की प्रेम के प्रतीक के रूप में हम प्रत्येक वर्ष द्वापर युग के समय से ही लठमार होली मथुरा और वृंदावन में खेलते हुए आ रहे हैं. यह होली भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं में से एक मानी जाती है जहां पर वह अपने गांव से राधा जी के गांव होली खेलने के लिए शखाओ के साथ आते थे. तभी से इस होली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है.

भगवान श्री कृष्ण की नगरी में होली खेली जाती है. इसको खेलने का अंदाज भी कुछ अलग ही होता है इसीलिए विश्व भर से लोग इस होली को देखने के लिए आते हैं इतना ही नहीं जब भी यह होली नगरी में खेली जाती है, तो यहां पर अपना पराया कोई नहीं देखा जाता सभी लोग आपस में मिलजुल कर होली खेलते हैं और एक दूसरे के ऊपर गुलाल या कर फूलों फूलों की वर्षा करते हैं.

कैसे खेली जाती है लठमार होली?

इस होली को खेलने के लिए पुरुष और स्त्रियां दोनों की आवश्यकता होती है क्योंकि भगवान श्री कृष्णा पुरुषों का प्रतीक है और राधा रानी स्त्रियों का प्रतीक है. जगदीश भगवान श्री कृष्णा नंदगांव से परेशान होली खेलने के लिए आते थे तो वह अपने शखाओ को साथ यहां पर आते थे. और माता राधा रानी जी होली के समय उन पर डंडों से बरसात करती थी. इससे बचने के लिए भगवान श्री कृष्णा और उनके बाल सखा ढाल का उपयोग किया करते थे. जिसकी वजह से यह होली इसी रूप में मनाई जा रही है और इसमें पुरुषों को हुरियार और स्त्रियों को हुरियारिन कहा जाता है.

लट्ठमार होली प्रेम प्रसंग का है प्रतीक

जैसे ही भगवान श्री कृष्णा अपने गांव नंदगांव से राधा रानी के गांव बरसाना में आते थे, तो राधा रानी अपनी सखियों के साथ मिलकर उनका स्वागत डंडों से करती थी वह बचाव के रूप में ढाल का उपयोग करते थे. कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण की यह क्रीडा उनकी राधा रानी के साथ प्रेम को दिखाती है. इसी वजह से प्रत्येक होली के अवसर पर ग्वाल बाल नंदगांव से होली खेलने के लिए बरसाना आते हैं. यह रिवाज आज भी उसी प्रकार बना जाता है जिसे कि पहले के समय में मनाया जाता था. करीब 40 दिन तक यह त्यौहार मनाया जाता है.


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